उडुपी की विदुषी दीक्षा वी : 216 घंटे का ऐतिहासिक नृत्य भरतनाट्यम कार्यक्रम Hindi News, September 2, 2025September 2, 2025 उडुपी की युवा नृत्यांगना विदुषी दीक्षा V ने भरतनाट्यम को साधना का रूप देकर इतिहास रच दिया है। अगस्त 2025 में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में दीक्षा ने लगातार 216 घंटे का भरतनाट्यम नृत्य प्रस्तुत कर न केवल नया कीर्तिमान स्थापित किया, बल्कि इस कला को भक्ति और तपस्या के स्तर तक पहुँचा दिया। विदुषी दीक्षा V का 216 घंटे का ऐतिहासिक नृत्य कार्यक्रम 21 अगस्त को दोपहर 3.30 बजे डॉ. जी. शंकर महिला महाविद्यालय, अज्जरकड़ के स्नातकोत्तर (कर्नाटका) हॉल में यह कार्यक्रम शुरू हुआ था। इस मैराथन नृत्य का समापन 30 अगस्त को हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन पूर्व विधायक रघुपति भट्ट और विशिष्ट अतिथियों ने किया। वहीं विदुषी की हौसला आफजाई और उसका नृत्य देखने के लिए लोगों की खूब भीड़ उमड़ी। जिसमे दीक्षा ने 216 घंटे तक भरतनाट्यम नृत्य प्रस्तुत किया यानी की नौ दिनों तक बिना रुके उन्होंने नृत्य किया और एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। बता दें कि इससे पहले 170 घंटे बिना रुके नृत्य करने का रिकॉर्ड रहा है। जो कि मंगलुरु की छात्रा रेमोना इवेट परेरा ने 21 से 28 जुलाई 2025 के बीच बनाया है। कला से साधना तक की मिसाल भरतनाट्यम सदियों से भारत की प्रमुख शास्त्रीय नृत्य शैलियों में गिना जाता है। जहां आमतौर पर इसे मंचीय प्रस्तुति या मनोरंजन के रूप में देखा जाता है, वहीं दीक्षा V ने इसे साधना का मार्ग मानते हुए प्रस्तुत किया। उनकी प्रस्तुति के दौरान हर मुद्रा और हर ताल केवल दर्शकों को मोहित करने का साधन नहीं, बल्कि एक प्रार्थना और आत्मिक संवाद का रूप लेती गई। दर्शकों का अनुभव कार्यक्रम में उपस्थित दर्शकों ने इसे केवल एक नृत्य नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा बताया। कई दर्शकों ने कहा कि दीक्षा की प्रस्तुति में उन्हें भक्ति और ध्यान की अनुभूति हुई। इस कार्यक्रम को कला समीक्षकों और विद्वानों ने भी अभूतपूर्व करार दिया। दीक्षा V का दृष्टिकोण अपनी ऐतिहासिक प्रस्तुति के बाद दीक्षा V ने कहा –“भरतनाट्यम मेरे लिए केवल नृत्य नहीं है। यह आत्मा और परमात्मा के बीच संवाद है। जब कलाकार पूरी श्रद्धा और भक्ति से अपनी कला को जीता है, तो वह साधना बन जाती है।” उडुपी से विश्व तक धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा के लिए प्रसिद्ध उडुपी ने हमेशा कला और अध्यात्म को विशेष स्थान दिया है। दीक्षा V की इस उपलब्धि ने न केवल उडुपी बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कीर्तिमान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा कि कला केवल करियर या मनोरंजन नहीं, बल्कि आत्मिक साधना का मार्ग भी बन सकती है। 216 घंटे का यह भरतनाट्यम प्रदर्शन केवल रिकॉर्ड बनाने की कोशिश नहीं था, बल्कि यह इस बात का जीवंत प्रमाण है कि कला और साधना का संगम इंसान को असंभव को भी संभव करने की शक्ति देता है। भारत की पाँच यूनिक मोटिवेशनल पर्सनैलिटीज़, जिनसे हमें सीखना चाहिए Facts Information News Article