क्यों बढ़ रहा है स्ट्रेस और डिप्रेशन? जानिए कारण और मेडिटेशन का असर Hindi News, September 5, 2025September 5, 2025 स्ट्रेस और डिप्रेशन : आज के दौर में हर इंसान भागदौड़ में उलझा हुआ है। करियर की दौड़, आर्थिक दबाव, रिश्तों की जटिलताएँ और सोशल मीडिया की तुलना ने जीवन को तनावपूर्ण बना दिया है। पहले जहां ये समस्याएँ कुछ गिने-चुने लोगों तक सीमित थीं, अब ये हर उम्र और हर वर्ग के लिए आम हो गई हैं। स्ट्रेस और डिप्रेशन न केवल मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं बल्कि धीरे-धीरे पूरे जीवन की गुणवत्ता पर असर डालते हैं। तनाव की जड़ें कहां छिपी हैं? स्ट्रेस और डिप्रेशन की जड़ें हमारी दिनचर्या और सोच में छिपी होती हैं। काम और पढ़ाई का दबाव हमें हमेशा दूसरों से बेहतर करने की ओर धकेलता है। जब आर्थिक हालात बिगड़ते हैं तो मन में असुरक्षा और चिंता बढ़ जाती है। परिवार या दोस्तों से दूरी हमें भीतर से कमजोर बना देती है। इसी बीच, सोशल मीडिया पर दिखने वाली दूसरों की सफलता अक्सर तुलना की आदत को जन्म देती है। इन सबका असर धीरे-धीरे इतना गहरा हो जाता है कि इंसान खुद को अकेला और असहाय महसूस करने लगता है, जो अंततः डिप्रेशन की ओर ले जाता है। जीवन पर स्ट्रेस और डिप्रेशन का असर जब इंसान तनाव से घिरता है, तो सबसे पहले उसका मन प्रभावित होता है। चिड़चिड़ापन, गुस्सा और आत्मविश्वास की कमी जैसे लक्षण सामने आते हैं। मानसिक समस्या धीरे-धीरे शरीर पर भी असर डालती है। नींद न आना, सिरदर्द, ब्लड प्रेशर और पाचन संबंधी परेशानियाँ आम हो जाती हैं। इतना ही नहीं, स्ट्रेस इंसान को सामाजिक रूप से भी अलग कर देता है, जिससे रिश्ते कमजोर हो जाते हैं और अकेलापन और बढ़ जाता है। मेडिटेशन: मन की शांति का उपाय इस भागदौड़ भरी जिंदगी में मेडिटेशन एक ऐसी तकनीक है, जो मन को शांति देती है और सोच को साफ़ करती है। ध्यान करने से लगातार भागते हुए विचार धीरे-धीरे थम जाते हैं और व्यक्ति वर्तमान क्षण को महसूस कर पाता है। यह न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि एकाग्रता बढ़ाता है और भावनात्मक संतुलन भी लाता है। वैज्ञानिक शोध भी साबित करते हैं कि नियमित मेडिटेशन से तनाव हार्मोन कॉर्टिसोल कम होता है और मन हल्का महसूस करता है। कैसे शुरू करें मेडिटेशन? अगर आप पहली बार मेडिटेशन करना चाहते हैं, तो इसे आसान स्टेप्स में अपनाएँ। धीरे-धीरे यह आदत बन जाएगी और आपको गहरा लाभ मिलेगा। शांत जगह चुनें – ऐसी जगह बैठें जहाँ शोर-शराबा न हो और आप पूरी तरह से रिलैक्स महसूस करें।सही मुद्रा में बैठें – ज़मीन पर पालथी मारकर या कुर्सी पर सीधी रीढ़ के साथ बैठना सबसे अच्छा होता है।आँखें बंद करें – धीरे से आँखें बंद करें और शरीर को ढीला छोड़ दें।गहरी सांस लें और छोड़ें – कुछ मिनटों तक केवल अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें।मन को केंद्रित करें – सांस, किसी मंत्र या पॉज़िटिव विचार पर ध्यान लगाएँ।ध्यान भटकने पर वापसी करें – अगर ध्यान भटक जाए तो बिना गुस्सा किए धीरे से फिर सांसों पर ध्यान ले आएँ।समय तय करें – शुरुआत में 5–10 मिनट से शुरू करें और धीरे-धीरे इसे 15–20 मिनट तक बढ़ाएँ।नियमित अभ्यास करें – हर दिन एक ही समय पर मेडिटेशन करें, ताकि यह आदत में शामिल हो जाए। स्ट्रेस और डिप्रेशन आज की जिंदगी का सच हैं, लेकिन यह भी सच है कि इन्हें नियंत्रित किया जा सकता है। अगर हम अपनी दिनचर्या में थोड़ी सी सादगी, संतुलित जीवनशैली और मेडिटेशन को जगह दें, तो तनाव और डिप्रेशन हम पर हावी नहीं हो पाएंगे। याद रखिए, दवाइयाँ सिर्फ शरीर को राहत देती हैं, लेकिन मन को सुकून मेडिटेशन ही दे सकता है। मेडिटेशन के साथ साथ आप कई किताबें भी पढ़ सकते हैं। जो आपके जीवन में काफी हद तक पोसिटिव चीजें ला सकती हैं। ज़िंदगी बदलने वाली सर्वश्रेष्ठ किताबें: वो 5 पुस्तकें जो आपकी सोच और जीवन को नई दिशा देंगी Health & Care Life Style