
Shani dev Story : नमस्कार, दोस्तों हिन्दू धर्म में सप्ताह के सातों दिनों में प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी देवता की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इसी प्रकार शनिवार का दिन न्याय के देवता शनि को पूजने का काफी महत्व है। भारतीय संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। वे मनुष्यों के कर्मों के अनुसार उन्हें फल देते हैं, इसलिए उन्हें कर्मों का निर्णायक भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार शनि देव को तेल चढाने की परम्परा है। जो व्यक्ति शनिवार के दिन शनि देव को तेल चढ़ाता है, शनि देव उसके कष्टों को दूर करते हैं। तो आईये जानते हैं कि आखिर शनिवार को शनिदेव पर तेल क्यों चढ़ाते हैं।
शनिदेव पर तेल क्यों चढ़ाते हैं
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार शनिदेव को अपनी ताकत और शक्तियों पर घमंड हो गया था। उसी समय हनुमानजी की ख्याति भी उस वक्त खूब फैल रही थी। यह देखकर शनिदेव को बहुत क्रोध आया और उन्हें लगा कि उनसे अधिक ताकतवर कौन दूसरा हो सकता है। शनिदेव ने हनुमानजी को आमने-सामने की लड़ाई के लिए ललकारा और राम भक्त हनुमान जी के पास लड़ने चले आए। जब शनिदेव ने हनुमानजी को ललकारा उस वक्त वह अपने प्रभु श्रीराम की भक्ति में लीन थे। उन्होंने शनिदेव को युद्ध न करने के लिए लाख समझाया। पर शनिदेव ने उनकी एक न सुनी और लड़ने के लिए ललकार लगाई।
जब सूर्य पुत्र शनि ने उनकी बात नहीं मानी तो हनुमान जी को उनसे युद्ध करना पड़ा। दोनों में जमकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में जब शनिदेव बुरी तरह घायल हो गए और उन्हें पीड़ा होने लगी तो हनुमानजी ने युद्ध को रोककर उनके घाव पर सरसों का तेल लगाना शुरू किया। इससे उन्हें आराम मिलने लगा और धीरे-धीरे शनिदेव का पूरा दर्द गायब हो गया। फिर उन्होंने हनुमान जी से क्षमा मांगी। तब से सरसों का तेल शनिदेव की प्रिय वस्तुओं में से एक बन गया। इस पर शनिदेव ने कहा कि जो भी भक्त सच्चे मन से शनिदेव को तेल चढ़ाएगा उसके जीवन से सारे कष्ट और संकट दूर होंगे। इस युद्ध के बाद से ही शनिदेव और हनुमानजी के मित्रतापूर्ण संबंध हो गए। इसलिए जो भी भक्त हनुमानजी की पूजा करते हैं शनि उन्हें सभी कष्टों से दूर रखते हैं।
शनिदेव पर तेल चढ़ाने के धार्मिक और वैज्ञानिक फायदे
सूर्य पुत्र शनिदेव पर तेल क्यों चढ़ाते हैं ये तो हम जान चुके हैं। अब आईये जानते हैं इसके फायदे।
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1. नकारात्मक ऊर्जा का नाश:
शनिदेव पर तेल चढ़ाने से व्यक्ति के जीवन से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। मान्यता है कि सरसों का तेल शनिदेव को प्रसन्न करता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में आने वाली कठिनाइयां और कष्ट कम होते हैं।
2. शनिदोष से मुक्ति:
ज्योतिष के अनुसार, जिन व्यक्तियों की कुंडली में शनि की महादशा, साढ़ेसाती या ढैय्या होती है, वे शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए सरसों का तेल चढ़ाते हैं। यह उपाय शनिदोष को कम करने में सहायक होता है।
3. आर्थिक समृद्धि:
मान्यता है कि शनिदेव को तेल चढ़ाने से जीवन में आर्थिक बाधाएं दूर होती हैं और व्यक्ति को समृद्धि प्राप्त होती है। शनिदेव को तेल चढ़ाने से उनकी कृपा से व्यक्ति के व्यापार और करियर में वृद्धि होती है।
4. स्वास्थ्य लाभ:
आध्यात्मिक दृष्टिकोण के साथ-साथ, सरसों के तेल के वैज्ञानिक फायदे भी होते हैं। सरसों का तेल शरीर के दर्द और सूजन को कम करने में सहायक होता है। इसे शनिदेव पर चढ़ाने के पीछे यह भी मान्यता है कि इससे शारीरिक कष्ट कम होते हैं।
5. धार्मिक संतुलन:
सरसों का तेल शनिदेव की कठोर दृष्टि को शांत करता है। यह एक प्रतीकात्मक विधि है, जिसमें तेल शनिदेव की तीव्रता को कम करने और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने का माध्यम बनता है। इसके पीछे यह भावना है कि शनिदेव शांत होकर व्यक्ति को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
शनिदेव को तेल चढ़ाने की विधि
शनिवार के दिन प्रातः स्नान करके शनिदेव की मूर्ति या शनि यंत्र के सामने सरसों का तेल चढ़ाने का विधान है। पूजा के दौरान शनिदेव का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र का जाप किया जाता है:
मंत्र:
“ॐ शं शनैश्चराय नमः”
साथ ही आप इस मन्त्र का उच्चारण भी कर सकते हैं।
निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥
इसके बाद शनिदेव से अपने जीवन की समस्याओं के निवारण की प्रार्थना करनी चाहिए।
निष्कर्ष
शनिदेव पर सरसों का तेल चढ़ाने की परंपरा केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि मानसिक शांति और जीवन में संतुलन लाने के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह परंपरा व्यक्ति को उसके कर्मों का ध्यान रखने और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति में सहायक होती है। शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए सरसों के तेल का यह उपाय सदियों से चलता आ रहा है, और आज भी लोग इसे मानते हैं और इसका अनुसरण करते हैं।
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