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रावण के पैरों के नीचे दबा नीले रंग का व्यक्ति कौन है? जानें हैरान कर देने वाला ये रहस्य

नमस्कार, दोस्तों भारतीय पौराणिक कथाओं में रावण का नाम एक शक्तिशाली और ज्ञानी राक्षस राजा के रूप में लिया जाता है। रावण से जुड़ी कई कहानियाँ और रहस्यमयी घटनाएँ हैं जो लोगों को हैरान कर देती हैं। इनमें से एक बेहद रहस्यमय और चर्चित कथा है रावण के पैरों के नीचे दबा नीले रंग का व्यक्ति के विषय में। यह सवाल लंबे समय से लोगों के मन में है कि आखिर यह नीला व्यक्ति कौन है और इसके पीछे की सच्चाई क्या है?

कौन है यह नीला व्यक्ति?

रामायण और विभिन्न लोक कथाओं में रावण के पैरों के नीचे दबा व्यक्ति का ज़िक्र आता है। हालांकि वाल्मीकि रामायण में इसका सीधा उल्लेख नहीं है, लेकिन कई अन्य पुराणों और रामायण की लोक कथाओं में इसे विशेष महत्व दिया गया है।

यह नीला व्यक्ति कोई और नहीं, बल्कि शनि देव हैं। कथा के अनुसार, एक बार रावण ने अपने जन्म चार्ट को देखा और पाया कि उसकी कुंडली में शनि की दृष्टि पड़ने वाली थी, जिससे उसकी शक्ति कमजोर हो सकती थी। रावण ने शनि ग्रह को प्रभावित करने के लिए उन्हें बंदी बना लिया और उन्हें अपने पैरों के नीचे दबा दिया ताकि उनकी दृष्टि का उस पर कोई प्रभाव न पड़े।

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शनि देव और रावण का संघर्ष

रावण एक शक्तिशाली योद्धा था और शनि ग्रह की दृष्टि के प्रभाव से बचने के लिए उसने शनि देव को अपनी कैद में रखा। ऐसा माना जाता है कि जब शनि देव को रावण ने पकड़ लिया, तो वह उन्हें अपने पैरों के नीचे दबा कर रखा ताकि उनकी दृष्टि से उसका कोई अनिष्ट न हो।

किंवदंतियों के अनुसार, जब रावण ने शनि देव को अपने पैरों के नीचे दबाया, तो शनि देव ने बहुत चतुराई से अपनी दृष्टि रावण की कुंडली के 12वें भाव पर डाल दी, जो कि उसके पतन का कारण बना। इसके बाद रावण के जीवन में कई तरह की बाधाएं आईं और अंततः उसका विनाश हुआ। यह घटना रावण की असीम शक्ति और शनि देव की अजेय दृष्टि के बीच के संघर्ष को दर्शाती है।

पौराणिक महत्व

रावण के पैरों के नीचे शनि देव को दबाकर रखने की कथा यह दिखाती है कि चाहे कितनी भी शक्ति और ज्ञान क्यों न हो, ग्रहों की चाल और उनका प्रभाव कोई भी नहीं बदल सकता। रावण जैसा महापराक्रमी भी शनि देव की दृष्टि से बच नहीं पाया और अंततः उसकी हार और पतन का मुख्य कारण यही बना।

यह कथा क्यों है हैरान करने वाली?

यह कथा हैरान करने वाली इसलिए है क्योंकि यह दर्शाती है कि रावण जैसा शक्तिशाली व्यक्ति भी ग्रहों की शक्तियों के सामने असहाय था। शनि ग्रह का प्रभाव हर व्यक्ति पर पड़ता है, चाहे वह राजा हो या राक्षस। इसके साथ ही, यह कथा इस बात की भी पुष्टि करती है कि कर्म और समय के सिद्धांत से कोई भी नहीं बच सकता।

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