आखिर क्यों माता पार्वती ने पुत्र कार्तिकेय और महादेव के साथ साथ नारद और विष्णु को दिया श्राप Hindi News, October 11, 2024October 11, 2024 नमस्कार, दोस्तों एक बार क्रोध में आकर माता पार्वती ने पुत्र कार्तिकेय और महादेव के साथ साथ विष्णु भक्त नारद और स्वयं विष्णु भगवान् को श्राप दिया था। उनके इस क्रोध के पीछे एक बहुत बड़ा कारण था। तो आईये आज हम जानेंगे कि आखिर माता पार्वती ने कार्तिकेय, महादेव, नारद और विष्णु भगवान् को श्राप क्यों दिया। जानकारी के लिए लेख को अंत तक पढ़ें। माता पार्वती ने श्राप क्यों दिया एक बार माता पार्वती और भगवान् शिव के बीच चौसट का खेल हुआ जिसके दौरान भगवान् शिव, कार्तिकेय, नारद और विष्णु भगवान् ने मिलकर उनसे छल किया और महादेव को इस खेल में विजयी बनाया। इसपर माता क्रोधित हो गयी और सभी को श्राप दे दिया। हालाँकि ये श्राप सम्पूर्ण संसार के लिए लाभकारी साबित हुए। तो आईये इस दिलचस्प कथा को विस्तार पूर्वक पढ़ते हैं। श्राप देने की कथा एक समय माता पार्वती और महादेव के बीच में चौसट का खेल हुआ जिसमे महादेव अपना सब कुछ हार गए थे। ऐसे में महादेव शरीर पर पत्तों के वस्त्र पहनकर अपनी एक लीला करने गंगा के किनारे बैठ गए। जब यह बात कार्तिकेय को पता लगी तो वो माता के पास आये और चौसट का खेल खेलकर माता से सभी वस्तुएं जीत गए। और फिर वो पिता महादेव के पास चले गए। ऐसे में माता पार्वती दुखी हो गयी और उन्होंने अपनी पीड़ा अपने प्रिय पुत्र गणेश को बताई। माता के दुःख को कम करने के लिए गणेश जी भी पिता शिव के पास पहुँच गए। जहाँ भ्राता कार्तिकेय, नारद और भगवान् विष्णु भी थे। उन्होंने चौसट का खेल खेला और सभी चीजें जीतकर अपनी माता के पास लौट आये। ऐसे में माता पार्वती ने कहा कि उनको अपने पिता को भी कैलाश लेकर आना चाहिए था। फिर गणेश जी पिता को वापस कैलाश लाने के लिए चल दिए। महादेव ने वापस आने की शर्त रखी कि देवी पार्वती को उनके साथ पुनः चौसट का खेल खेलना पड़ेगा। माता इस शर्त के लिए तैयार हो गयी। यह भी जानें : रावण के पैरों के नीचे दबा नीले रंग का व्यक्ति कौन है? जानें हैरान कर देने वाला ये रहस्य ऐसे मिला श्राप लेकिन इस बार विष्णु जी पासा बन गए। महादेव ने कहा की हम नया पासा लेकर आये हैं और हम इसी से खेलेंगे। फिर माता ने कहा आपके पास तो कुछ है ही नहीं, किस चीज को लेकर खेलेंगे। तक तक नारद जी ने अपनी वीणा दे दी। जिसको लेकर भगवान् शिव ने खेलना शुरू किया। अब की बार भगवान् जीतने लगे। थोड़ी ही देर में गणेश जी को इस कूटनीति की भनक लग गयी। मातृप्रेमी गणेश जी ने शीघ्र ही ये बात माता को बताई। यह बात सुनकर माता क्रोध में आ गयी और उन्होंने सभी को श्राप दे दिया। आईये जानते हैं किस प्रकार से माता ने श्राप दिया। भगवान शिव को – अब चूंकि महादेव ने गंगा के तट पर यह लीला रची इसलिए उन्होंने भोलेनाथ को श्राप दिया कि गंगा की धारा का बोझ हमेशा उनके सिर पर रहेगा।नारद मुनि को – माता ने नारद को श्राप दिया कि तुम कभी एक स्थान पर नहीं टिकोगे हमेशा भटकते रहोगे। भगवान विष्णु को – भगवान विष्णु को यह श्राप दिया कि रावण उनका सबसे बड़ा और ताकतवर शत्रु होगा। कार्तिकेय को – माता पार्वती ने अपने पुत्र कार्तिकेय को यह श्राप दिया कि वह हमेशा बाल स्वरूप में ही रहेंगे। इस प्रकार माता ने सभी को श्राप दिया। जो कि आगे चलकर सभी के लिए फलीभूत हुए और इस संसार के लिए लाभकारी साबित हुए। यह भी जानें : शनिवार को शनिदेव पर तेल क्यों चढ़ाते हैं, जानिए क्या है कहानी और क्या हैं फायदे Information Story