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रानी लक्ष्मीबाई : सिर्फ 1 अंग्रेज ने देखा था ‘रानी लक्ष्मीबाई’ का चेहरा और कभी भी भूल नहीं पाया

रानी लक्ष्मीबाई : नमस्कार, दोस्तों रानी लक्ष्मी बाई के बारे में तो आपने सुना ही होगा। और आखिर सुना भी कैसे न हो, वो महिला सशक्तिकरण की बेहतरीन मिसाल जो हैं। ऐसी वीरांगना को भला कोई कैसे न जनता हो। उनकी वीरता की कई कहानियां हमारे इतिहास के पन्नों में और हमारे दिलों में तो है ही साथ ही साथ उनकी कहानियां अग्रेजों की किताबों में भी लिखी गयी है। ‘रानी लक्ष्मीबाई’ ने अंग्रेजों से काफी युद्ध किया लेकिन सौभाग्यहीन अंग्रेज कभी भी उनका चेहरा नहीं देख पाए। लेकिन केवल एक अंग्रेज ऐसा है जिसने रानी की एक झलक में चेहरा देखा है। और देखा तो ऐसा देखा की कभी भूल नहीं पाया और साथ ही इसका वर्णन भी किया है।

सिर्फ 1 अंग्रेज ने देखा था ‘रानी लक्ष्मीबाई’ का चेहरा

यूँ तो झाँसी की ‘रानी लक्ष्मीबाई’ ने अंग्रेजों से खूब लड़ाइयां की लेकिन कभी कोई भी अंग्रेज उनके चेहरे की झलक नहीं देख पाया। इतना ही नहीं बल्कि उनके मरने के बाद भी वो उस वीरांगना का चेहरा नहीं देख पाए। एक अंग्रेज था जो केवल उनकी एक झलक देख पाया था।

जॉन लैंग, जो कि एक ऑस्ट्रेलियाई वकील और लेखक थे, ने रानी लक्ष्मी बाई का चेहरा तब देखा जब वे भारत में थे और कानूनी मामलों में उनकी मदद कर रहे थे।

1853 में, रानी लक्ष्मी बाई ने जॉन लैंग को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ अपने कानूनी मामलों में प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त किया था। जॉन लैंग और रानी लक्ष्मी बाई के बीच कई मुलाकातें हुईं, जिसमें लैंग ने उनके साहस, निडरता और नेतृत्व की क्षमता का वर्णन किया है। इन मुलाकातों के दौरान, लैंग ने रानी लक्ष्मी बाई का चेहरा देखा और उनकी सुंदरता और गरिमा की प्रशंसा की।

इन मुलाकातों का वर्णन लैंग ने अपनी लिखित सामग्री में किया है, जिससे हमें यह जानकारी मिलती है कि उन्होंने रानी लक्ष्मी बाई का चेहरा किस प्रकार देखा।

धोके से दिखा रानी लक्ष्मी बाई का चेहरा

जब रानी ने जॉन लैंग को अपना वकील नियुक्त किया तो उनकी कई मुलाकातें रानी से हुई। लेकिन उनके बीच में हमेशा एक पर्दा लगा रहता था जिससे वो रानी को नहीं देख पाते थे। एक बार जब जॉन लैंग और लक्ष्मी बाई से बातचीत कर रहे थे। हमेशा की तरह वहां उनके पुत्र दामोदर राव और महल के कर्मचारी मौजूद थे। बातचीत के दौरान बच्चे ने पर्दा हटा दिया। कर्मचारी ने पर्दा तुरंत बंद किया लेकिन इतने में जॉन लैंग ने रानी लक्ष्मी बाई का चेहरा देख लिया था।

बेहद सुन्दर थी रानी लक्ष्मीबाई

जॉन लैंग ने लिखा है कि जब उन्होंने रानी की एक झलक देखी तो उन्होंने कहा कि “अगर गवर्नर जनरल भी आपको देखने का सौभाग्य पाते तो मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि वो इस खूबसूरत रानी को झांसी वापस दे देते।” उनके इस कॉम्पलिमेंट को रानी ने बड़ी सादगी से स्वीकार किया। जॉन लैंग ने लिखा है कि

मृत्यु के बाद भी चेहरा नहीं देख पाए अंग्रेज

जब रानी लक्ष्मी बाई वीरगति को प्राप्त हुई तब भी कोई अंग्रेज उनको नहीं देख पाया। दरअसल एक अंग्रेज ने उनके सर पर कटार से प्रहार किया जिससे रानी घायल हो गयी। वहाँ से निकलकर वो एक मंदिर में पहुंची और बेटे दामोदर की जिम्मेदारी एक सिपाही को छोड़कर उन्होंने कहा की किसी भी में मेरा शरीर अंग्रेजों को नहीं मिलना चाहिए। जिसके बाद बताया जाता है कि आनन फानन में वीरांगना लक्ष्मी बाई का दाह संस्कार किया गया। लड़ते लड़ते जब तक अंग्रेज वहाँ पहुंचे तब तक रानी का शरीर ख़त्म हो चुका था।

रानी लक्ष्मी बाई के बारे में

रानी लक्ष्मी बाई, झांसी की रानी, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना थीं। उनका जन्म 19 नवम्बर 1828 में हुआ और उनका नाम मणिकर्णिका था। 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान, उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ वीरता से लड़ाई लड़ी। उन्होंने अपनी अदम्य साहस, रणनीतिक कुशलता और नेतृत्व क्षमता से प्रेरित किया। 1858 में, अंग्रेजों से लड़ते हुए ग्वालियर में उनकी मृत्यु हो गई। रानी लक्ष्मी बाई भारतीय इतिहास में एक प्रेरणादायक नायिका हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता और न्याय के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनका संघर्ष और बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक बन गया।

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