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Asha Bhosle struggle: 90 की उम्र में भी जारी है आशा भोसले के संगीत का सफर, जानें इनके संघर्ष की कहानी

Asha Bhosle struggle: नमस्कार, दोस्तों मनोरंजन की दुनिया में कई हमारे पसंदीदा कलाकार होंगे तो कहीं पसंदीदा गीतकार भी होंगे। जिन्होंने जीवन में हमें सुरीले गानों से रोमांचित किया है। कई पुराने गायक तो आज भी सुने जाते हैं। जिनमे से आशा भोसले भी एक है। आशा भोंसले कई वर्षों से अपनी मधुर आवाज से सुरीले गाने गा कर मन मोह रही हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आशा भोसले काफी मशहूर गायिका हैं। जो कि कई संगीतकारों की आइडल भी हैं। गायिका अब 90 वर्ष तक पहुँच गयी है।

इन्होने हमे कई सुन्दर गाने दिए हैं। जिनमे ‘इन आँखों की मस्ती के’, ‘दो लफ्जों की कहानी’, ‘चुरा लिया है तुमने’ और ‘हाल कैसा है जनाब का’ जैसे सॉन्ग टॉप में हैं। आशा भोसले ने अपने जीवन में काफी स्ट्रगल किया है और मेहनत करके अपनी मंजिल को हासिल किया है। कई लोग इनसे इंस्पायर हो कर खुद को इनके जैसे बनाना चाहते हैं। आज हम आपको आशा भोसले के जीवन से जुडी कई जानकारी देंगे। यदि आप भी आशा भोसले के बारे में जानकारी रखना चाहते हैं तो इस पोस्ट को पूरा पढ़ें।

आशा भोसले का जन्म और उनका बचपन

आशा भोसले का जन्म 8 सितम्बर 1933 को सांगली महाराष्ट्र में हुआ था। इनके पिता दीनानाथ मंगेश्कर और माता शेवंती मंगेश्कर हैं। इनके पिता मशहूर क्लासिक गायक थे, जिसके कारण इनको भी संगीत में काफी रूचि थी। जिसके चलते आशा ने केवल 10 वर्ष की उम्र से ही गाना गाने की शुरुआत कर दी थी। इसके बाद ये धीरे धीरे फिल्मों में गाना गाने लगी। और अपने मुकां को हासिल कर पाई। हालाँकि आशा भोसले के पिता जी काफी मशहूर कलाकार थे। जिसके चलते आशा को संगीत में अपना करियर बनाने में ज्यादा दिक्कत न होती। लेकिन आशा ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से अपनी मंजिल को पाया है।

जब आशा भोसले महज 9 वर्ष की थी तो इनके पिता दीनानाथ मंगेश्कर का देहांत हो गया। जिसके बाद परिवार का भरण पोषण करने के लिए आशा और इनकी बड़ी बहन मशहूर गायिका लता मंगेश्कर ने फिल्मो में गाना गाने शुरू कर दिए। 1943 में इन्होंने अपनी पहली मराठी फिल्म ‘माझा बाळ’ में गीत ‘चला चला नव बाळा’ गाया। जो कि दत्ता डावजेकर के द्वारा संगीतबद्ध किया गया था।और फिर यहाँ से संगीत में इनके करियर की अच्छी शुरुआत हो गयी। हिंदी में आशा भोंसले ने अपना पहला गीत वर्ष 1948 में सावन आया फिल्म चुनरिया में गाया।

शादी और पारिवारिक जीवन

16 वर्ष की उम्र में आशा ने गणपत राव भोसले से विवाह किया। जब इनकी शादी हुई तो गणपत राव भोसले आशा से आधी उम्र के थे। उनकी उम्र 31 वर्ष की थी जबकि आशा केवल 16 वर्ष की थी। उन्होंने यह शादी घरवालों के खिलाफ जाकर की थी। हालाँकि उनकी ये शादी ज्यादा नहीं चली। करीब 1960 के दौरान कुछ मतभेद के कारण उन्होंने यह शादी तोड़ दी, और 2 बच्चे और गर्भस्त शिशु के साथ वह अपने मायके आ गयी। इसके बाद 1980 में उन्होंने राहुल देव बर्मन से शादी की। उनकी यह शादी बर्मन की अंतिम साँसों तक चली।

सम्मान एवं पुरस्कार

न केवल संगीत जगत को बल्कि हम सभी लोगों को प्रेरणा देने और सुरीले गीत देने वाली आशा भोसले के नाम कई खिताब हैं। 1981 में उमराव जान और इजाजत (1987) में पारम्परिक गज़ल गाकर आशा जी ने आलोचकों को करारा जबाब दिया। अपनी गायन प्रतिभा का लोहा मनवाया। इन्ही दिनो इन्हे उपर्युक्त दोनों फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार ‘बेस्ट फिमेल प्लेबैक सिंगर’ मिला। वहीं उमराव जान के लिए उन्हें नेशनल अवार्ड भी मिला था। साथ ही उन्हें 8 फिल्मफेयर अवार्ड भी मिले हैं। ऐसे कई अवार्ड जैसे सिंगर ऑफ द मिलेनियम (दुबई), स्पेशल अवार्ड (रंगीला- 1995), लता मंगेस्कर अवार्ड, दादा साहेब फाल्के और पद्म विभूषण अवार्ड से इनको नवाजा गया है।

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