Skip to content
Thehindinews
Thehindinews

  • Home
  • News Article
  • Story
  • Information
  • blog
  • Life Style
Thehindinews
Thehindinews

Ganesh Chaturthi : गणेश चतुर्थी क्यों मनाते हैं, कब मनाते हैं और कैसे मनाते हैं, जानें पूरी जानकारी

Hindi News, August 31, 2022August 31, 2022

Ganesh Chaturthi : दोस्तों भारत त्याहारों भरा देश है। आये दिन यहाँ विभिन्न प्रकार के त्यौहार मनाये जाते हैं। सभी त्योहारों को यहाँ खूब धूम धाम से मनाया जाता है। इसी प्रकार गणेश चतुर्थी को भी बड़े हर्ष और उल्लास से साथ मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक पवित्र पर्व है। आज हम आपको गणेश चतुर्थी के बारे में जैसे – क्यों मनाया जाता है और कैसे मनाया जाता है, आदि सभी जानकारी देंगे। इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें, तभी आप गणेश चतुर्थी के विषय में साड़ी जानकारियां हासिल कर पाएंगे।

गणेश चतुर्थी

गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक विशेष पर्व है। जो कि पूरे भारत में मनाया जाता है। किन्तु महाराष्ट्र में यह बड़ी ही धूम धाम के साथ मनाया जाता है। यहाँ के लोग इस पर्व को एक अलग ही महत्व देते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विघ्नहर्ता गणेश जी का जन्म हुआ था। जिसे पूरा भारत बड़े हर्ष से मनाता है।

दोस्तों गणेश भगवान को सभी देवताओं में सर्वोपरि माना गया है। चाहे आप किसी भी देवी देवता का पूजन कर रहे हैं, सबसे पहले गणेश जी की पूजा ही करवाई जाती है। सबसे पहले पूजे जानें का उनको सभी देवताओं का वरदान है। इसी लिए उनकी पूजा सबसे पहले की जाती है।

गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी

गणेश चतुर्थी कब और क्यों मनाई जाती है

शिवपुराण के अनुसार गणेश चतुर्थी हिन्दू पंचांग के भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी में मनाया जाता है। इसके अनुसार भाद्रपद के कृष्णपक्ष की चतुर्थी में विघ्नहर्ता गणेश जी का जन्म हुआ था। अर्थात गणेश चतुर्थी गणेश जी के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाई जाती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इंग्लिश कैलेंडर के अनुसार इस पर्व की कोई निर्धारित दिनाँक नहीं है। गणेश चतुर्थी का दिवस हिंदी पंचांग के अनुसार ही निर्धारित होता है।

कैसे मनाई जाती गणेश चतुर्थी

दोस्तों हमने आपको ये जानकारी तो दे दी कि गणेश चतुर्थी कब और क्यों मनायी जाती है। तो आईये अब जानते हैं कि गणेश चतुर्थी को प्रकार मनाया जाता है।

  • गणेश चतुर्थी पूरे देश में हर्ष और उल्लास के साथ मनाई जाती है।
  • महाराष्ट्र राज्य में गणेश चतुर्थी बड़े ही धूम धाम से मनाई जाती है।
  • यह पर्व पूरे 10 दिनों तक मनाया जाता है।
  • इस दिन श्रद्धालु लोग अपने घर या मोहल्ले में गणपति बाप्पा की मूर्ती को स्थापित करते हैं।
  • इसमें लोग बड़ी बड़ी मूर्तियों की स्थापना करते हैं।
  • इसके बाद लोग लगातार 9 दिनों तक मंगलमूर्ति गणेश भगवान् का पूजन करते हैं।
  • रोज उनके दर्शन कर उन्हें मोदक चढ़ाते हैं।
  • इन दिनों बाप्पा की शुद्ध मन से सेवा करने वाले की सभी मनोकामना पूरी होती है।
  • उनके घरों में सुख और समृद्दि का वास होता है।
  • नौ दिन पूरे हो जाने के बाद लोग बड़ी ही धूम धाम से गणपति की मूर्ती का विसर्जन करते हैं।
  • इस दिन लोग खूब ढोल नगाड़े बजाते हुए नाचते गाते हैं।
  • गणपति की मूर्ती पर खूब रंगों की बारिश करते हुए किसी नदी में इनको विसर्जित कर देते हैं।
  • इस प्रकार लोग बड़ी श्रद्धा भाव से गणपति जी का यह महोत्सव मनाते हैं।

गणेश जी के विषय में कुछ सामान्य बातें

दोस्तों आप सभी लोग गणेश जी के विषय में जानते ही हैं। गणेश जी भगवान शिव और पार्वती के पुत्र हैं। गणेश जी के बड़े भाई का नाम कार्तिके है। पौराणिक कथाओं के अनुसार गणपति जी की दो पत्नियां हैं, रिद्धि और सिद्धि। गणेश जी का वाहन मूसक अर्थात चूहा है, जो कि उनको अति प्यारा है। गणेश जी अपने माता पिता के चहेते हैं। उन्होंने कई वेद और ग्रंथों को अपने हाथों से लिखा है। गणेश जी को सभी देवताओं में सर्वोपरि पूजनीय कहा गया है। गणेश जी बहुत बुद्धिमान हैं, जिस कारण उन्हें बुद्धि का नाथ अर्थात बुद्धिनाथ कहा जाता है।

गणेश जी के नाम

गणपति जी का सबसे प्रचलित नाम गणेश ही है। गणेश का अर्थ है – गण + ईश , गण का अर्थ है पवित्रक और ईश का अर्थ है ईश्वर अर्थात पवित्रकों के ईश्वर। यूँ तो गणेश जी के अनेकों नाम हैं जिनका बखान करना संभव नहीं है। किन्तु उनके कुछ नामों की जानकारी हम आपको अवश्य देंगे।

  1. बालगणपति : सबसे प्रिय बालक
  2. बुद्धिनाथ : बुद्धि के देवता
  3. एकदन्त: एक दांत वाले
  4. एकाक्षर : एकल अक्षर
  5. गणपति : सभी गणों के स्वामी
  6. गजानन: हाथी के मुख वाले भगवान
  7. लम्बोदर : बड़े पेट वाले 
  8. मंगलमूर्ति : सभी शुभ कार्यों के देव
  9. वक्रतुण्ड : घुमावदार सूंड वाले 
  10. विघ्नहर्ता : विघ्न हरने वाले
गणेश, महादेव, पार्वती
गणेश, महादेव, पार्वती

गणपति जी कथा

बाल्य अवस्था से लेकर ही गणेश जी की कई कथाएं हैं। जिनमे से एक हम आपको भी सुनाएंगे।

गणेश जी को क्यों सबसे पहले पूजा जाता है

दोस्तों एक बार माँ पार्वती ने अपने मैल से एक बालक का निर्माण किया। जिसका नाम माता ने ‘गणेश’ रखा। इसके बाद माँ नहाने को चली गयी और गणेश जी को आज्ञा दी कि किसी को भी अंदर न आने दिया जाए। कुछ समय बाद उस स्थान पर महादेव आये और अंदर जाने की बात कही।गणपति जी ने मना कर दिया। महादेव के कई बार कहने पर भी वे नहीं माने और अपनी माँ के आदेश का पालन करते रहे। इसके बाद गणेश जी और शिवगणों के मध्य खूब युद्ध हुआ। लेकिन कोई भी गण उनको हरा नहीं पाया। जिसके बाद क्रोध में आकर महादेव ने त्रिशूल का प्रहार कर गणेश जी का सर धड़ से अलग कर दिया। सभी स्तब्ध रह गए।

माता पार्वती नहाकर बहार आयी तो पुत्र की यह दशा देख कर बड़ी दुःखी और क्रोधित हुई। और उन्होंने प्रलय लाने की ठान ली। जिससे सभी देवी देवता परेशान हो गए। सभी देवी देवताओं ने उनको बहुत समझाया और क्षमा मांगी। तत्पश्चात महादेव जी ने भगवान विष्णु को कहा की जाओ और जो भी जीव आपको सर्वप्रथम दिखे उसका सर गणेश के लिए ले आना।विष्णु जी हाथी का सर ले आये, जिसको महादेव जी ने गणेश के धड़ पर जोड़ दिया। और गणेश जी हाथ का सर लिए पुनः जीवित हो गए। इससे माता पार्वती खुश हो गयी। वहां सभी उपस्थित देवी देवताओं ने गणेश को सबसे पहले पूजे जाने का वरदान दिया। इसी कारण गणपति जी को सभी देवी देवताओं से पहले पूजा जाता है।

यह भी जानें : तेल की कंपनियों ने जारी किये पेट्रोल और डीजल के दाम, जानें उत्तराखंड में दाम

News Article

Post navigation

Previous post
Next post

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

The Hindi News

हिंदी में जानकारी लेने के लिए हमारी website को फॉलो करें

©2025 Thehindinews | WordPress Theme by SuperbThemes
Go to mobile version