अगर चीता दुनिया का सबसे तेज़ दौड़ने वाला जीव है, तो कारों की ताकत को हम घोड़े से क्यों मापते हैं? Hindi News, July 14, 2025July 14, 2025 जब भी हम किसी कार या बाइक की बात करते हैं, तो आपने ज़रूर सुना होगा — “इसमें 100 हॉर्सपावर का इंजन है।”अब ज़रा सोचिए — चीता तो धरती का सबसे तेज़ दौड़ने वाला जानवर है, तो फिर तुलना चीते से क्यों नहीं? कार की ताकत “चीता पावर” में क्यों नहीं बताई जाती? इसका जवाब सीधा है, लेकिन इसके पीछे थोड़ा पुराना इतिहास और एक ठोस वजह भी छिपी है। हॉर्सपावर यानी घोड़े की ताकत “हॉर्सपावर” नाम पहली बार 18वीं सदी में जेम्स वॉट नाम के एक इंजीनियर ने दिया था। उन्होंने जब भाप से चलने वाली मशीन बनाई, तो वे लोगों को ये समझाना चाहते थे कि उनकी मशीन कितनी ताकतवर है। उस समय लोग ज़्यादातर काम घोड़ों से ही करवाते थे — जैसे सामान ढोना, गाड़ियां खींचना या खेतों में हल जोतना। जेम्स वॉट ने लोगों की भाषा में बात करने के लिए एक तरीका निकाला — उन्होंने देखा कि एक औसतन मजबूत घोड़ा कितना काम कर सकता है। उन्होंने उस माप को नाम दिया — हॉर्सपावर।इसका मतलब था — एक घोड़ा जितना काम कर सकता है, उतनी ताकत। तो हॉर्सपावर एक स्पीड नहीं, बल्कि शक्ति और काम करने की क्षमता का माप है। चीता तेज़ ज़रूर है, पर ज़्यादा देर तक नहीं अब बात करते हैं चीते की। हां, ये बात सच है कि चीता बहुत तेज़ दौड़ता है — करीब 100-120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से। लेकिन वो बस कुछ सेकेंड्स ही ऐसा कर पाता है। जल्दी थक जाता है। वहीं, घोड़ा लगातार कई घंटों तक दौड़ सकता है, सामान खींच सकता है और बिना थके काम कर सकता है। यही वजह है कि इंसानों ने हजारों सालों तक घोड़ों को अपने रोज़मर्रा के कामों में इस्तेमाल किया — और उसी की वजह से इंजन की ताकत मापने के लिए भी उसी का नाम चुना गया। कारों को हॉर्सपावर में ही क्यों मापा जाता है? आज के ज़माने में कारें भले ही मशीन हैं, पर जब बात उनके इंजन की ताकत मापने की आती है, तो हम अब भी उसी पुराने और आसान पैमाने का इस्तेमाल करते हैं — हॉर्सपावर। क्योंकि इससे समझना आसान है — अगर कोई कहे कि कार 80 हॉर्सपावर की है, तो अंदाजा लग जाता है कि वो कितनी ताकतवर होगी। अब सोचिए अगर कोई कहे, “ये कार 3 चीता-पावर की है”, तो कोई समझ नहीं पाएगा कि इसका मतलब क्या है! न ही इससे ताकत का अंदाज़ा लगेगा, क्योंकि चीता ताकतवर नहीं, तेज़ होता है — और बस कुछ पल के लिए। चीता तेज़ है, इसमें कोई शक नहीं। लेकिन कारों की ताकत सिर्फ तेज़ी से नहीं मापी जाती — उसकी क्षमता, उसकी मेहनत करने की ताकत और लगातार चलने की काबिलियत देखी जाती है। और इन सब मामलों में घोड़ा जीत जाता है।इसलिए आज भी कारों के इंजन की ताकत को हॉर्सपावर में मापा जाता है, न कि चीता-पावर में। यह भी जानें : भारत से जुड़े 15 रोचक तथ्य, जिन पर आपको गर्व होगा Facts Information News Article