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महादेव के सामने क्यों बजाते हैं तीन बार ताली_ प्रभु श्रीराम और रावण ने भी बजाई थी, जानें रहस्य

महादेव के सामने क्यों बजाते हैं तीन बार ताली? प्रभु श्रीराम और रावण ने भी बजाई थी, जानें रहस्य

Hindi News, July 17, 2025July 17, 2025

नमस्कार, दोस्तों आपने अगर कभी ध्यान दिया हो तो आपने पाया होगा कि शिव मंदिर में पूजा अर्चना के बाद तीन बार ताली बजायी जाती है। क्या आपको इसके पीछे का मूल कारण जानते हैं। यदि नहीं तो आईये आज आपको इसके विषय में विस्तार से बताते हैं।

महादेव के सामने क्यों बजाते हैं तीन बार ताली

ताली बजाना केवल कोई सांस्कृतिक क्रिया नहीं है। यह एक आंतरिक रूप से आवाहन है, जिसके द्वारा हम अपने तन, मन तथा अपनी आत्मा को अपने ईष्ट के चरणों में समर्पित करते हैं। इसी प्रकार भगवान शिव के आगे तीन बार ताली बजाकर खुद को समर्पित किया जाता है।

जिसमे पहली बार ताली बजाने का मतलब होता है कि भगवन शिव के सामने अपनी उपस्थिति का एहसास कराना। दूसरी बार ताली बजाने का अर्थ है अपनी मनोकामनाओं को भगवान शिव के सामने रखना और उनसे प्रार्थना करना की वो हमारे दुख और कष्टों को दूर करें। वहीं तीसरी बार ताली बजाने का मतलब भगवन से क्षमा प्रार्थना करके भगवन की शरण में जाना और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना।

श्रीराम और रावण ने क्यों बजाई थी ताली?

अब ज़रा इस बात पर ध्यान दें। रावण, जो एक विद्वान और शिव का परम भक्त था, उसने जब कैलाश पर्वत उठाया और शिव जी ने उसे दबा दिया, तो वह दर्द में था। लेकिन उसी दर्द में उसने वीणा बजाई, ताली बजाई और गाया — ताकि महादेव प्रसन्न हो जाएं। यह वही रावण था जिसने शिव तांडव स्तोत्र की रचना की थी।

श्रीराम ने भी रामेश्वरम में जब शिवलिंग की स्थापना की, तो उन्होंने पूजा से पहले तीन बार ताली बजा कर भगवान शिव को आमंत्रित किया। ये एक संकेत था कि — “हे भोलेनाथ! अब मैं आपकी पूजा आरंभ करने जा रहा हूँ, कृपया मुझे स्वीकार करें।”

क्यों सिर्फ शिव के सामने?

हमें यह भी देखने को मिलता है कि बाकी देवी-देवताओं के सामने घंटी या शंख का उपयोग ज़्यादा होता है, लेकिन शिव सादगी के देवता हैं। उन्हें बड़ी चीज़ें नहीं चाहिए। ना सोने का सिंहासन, ना ढोल नगाड़े, बस एक सच्चे मन से ताली बजाना भी उन्हें प्रिय है। वहीं देखा जाय तो शिव को “नाद” यानी ध्वनि का देवता माना जाता है। जब ताली बजती है, तो उसमें एक खास तरह की ऊर्जा होती है। यह नकारात्मकता को हटाती है और वातावरण को शुद्ध करती है। यही वजह है कि ताली बजाकर शिव को पुकारना, मानो उनकी उपस्थिति को आमंत्रित करना है।

तीन बार ही क्यों?

तीन बार ताली बजाना ऐसे ही नहीं किया जाता। इसके पीछे गहरा भाव है।

  1. पहली ताली — शरीर को जगाने के लिए।
  2. दूसरी ताली — मन को केंद्रित करने के लिए।
  3. तीसरी ताली — आत्मा को ईश्वर से जोड़ने के लिए।

यानि ये तीन तालियाँ हमारे पूरे अस्तित्व को भगवान शिव के चरणों में समर्पित करने का तरीका है। ये कहने का एक तरीका है कि — “हे प्रभु! अब मैं पूरी तरह से आपके सामने हाज़िर हूँ।”

तो अगली बार जब आप महादेव के सामने जाएं, तो वो तीन तालियाँ सिर्फ हाथ से नहीं, दिल से बजाइए…
शिव सुने बिना भी सुनते हैं।

हर हर महादेव!

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