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Uttarakhand Uttarkashi: उत्तरकाशी की एक महिला ने बंदरों और सूअरों द्वारा किये गए नुक्सान पर काफी सुन्दर रचना की और साथ ही सरकार से इस मामले पर विचार करने की बात कही

उत्तरकाशी की महिला ने बंदरों और सूअरों पर सुन्दर रचना की

उत्तरकाशी की महिला ने बंदरों और सूअरों पर सुन्दर रचना की

Uttarakhand Uttarkashi: दोस्तों हम सभी इस बात से भलीभांति परिचित हैं कि आजकल के समय में बंदर जंगलों में कम और शहरों की ओर अधिक देखने को मिलते हैं। जिस कारण ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के लोगों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बंदरों और जंगली सूअरों द्वारा किये गए नुकसान से परेशान होकर उत्तरकाशी की एक महिला ने बड़ी सुन्दर कविता की रचना की। जिसमे उन्होंने बंदरों और जंगली सूअरों द्वारा किये जा रहे नुक्सान और लोगों की पीड़ा के विषय में सबको जानकारी दी। और इसके साथ साथ महिला ने सरकार से इस विषय पर विचार करने की मांग भी की।

बंदरों और सूअरों पर महिला ने की एक सुन्दर रचना

उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में जंगली सूअरों और बंदरों का काफी आतंक देखने को मिल रहा है। जिसके कारण सभी लोगों को परेशानी हो रही है। इसी के चलते उत्तरकाशी लदाड़ी क्षेत्र की एक महिला ने इनपर सुन्दर गढ़वाली गीत की रचना की है। गीत में उन्होंने बंदरों द्वारा किये जा रहे नुक्सान के बारे में पूरी जानकारी दी है। उन्होंने गीत में बताया कि किस प्रकार सूअर और बंदर उनकी साग सब्जियों को नष्ट करते हैं। उनके फलों का बर्बाद करते हैं। और अन्य कई तथ्य महिला ने इस गीत में कहे। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि महिला का नाम गीता गैरोला है। और ये लदाड़ी के रहने वाले हैं।

इस मामले को लेकर महिलाओं ने सरकार से भी मांग की है

दोस्तों गंभीर रूप से सोचा जाए तो यह कोई छोटा विषय नहीं है। बंदरों के कारण लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी समस्याओं को आगे लाने के लिए गीता गैरोला जी ने सुन्दर गढ़वाली गीत सुनाया। इसके साथ साथ गीता गैरोला जी ने सरकार से इस बात पर विचार करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी से निवेदन है कि वे जंगली जानवरों से हमे मुक्ति दिलाये। ताकि पहाड़ की सभी महिलाएं निश्चिन्त रूप से अपनी खेती कर पाएं। साथ ही उन्होंने पलायन को रोकने और सभी नौजवान लोगों को खेती करने की प्रेरणा दी।

गीता गैरोला जी ने क्रन्तिकारी सुरेंद्र रावत जी को धन्यवाद देते हुए कहा कि वे हमारे भू कानून के लिए लड़ रहे हैं। उन्होंने सरकार से कहा कि वे जल्द से जल्द हमे भू कानून दिलाएं।

गीत की कुछ पंक्तियाँ

कै धारू बीटीन आयी बांदर, कै बण बीटी औन्दु सुवर

मेरु मन दुखुन्दू सुवर, मेरु जिया जलाउंदू बांदर

गढ़वाली गीत की पंक्तियों में बंदरों का आतंक

इस गीत में गीता गैरोला जी ने अपनी समस्याओं को सबके सामने लाया है। आईये आपको बताते हैं बंदरों और सुवरों के इस आतंक को गीता जी ने किस प्रकार बताया है।

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