आंगनवाड़ी केंद्र की कुछ अंदरूनी सच्चाई, जानें पूरी जानकारी Hindi News, September 8, 2025September 8, 2025 आंगनवाड़ी केंद्र : नमस्कार, दोस्तों पूरे भारत में करीब 14 लाख आंगनवाड़ी केंद्र स्वीकृत हैं। जिनमे से कई तो बहुत अच्छे पर रैंक करते हैं। वहीं कई ऐसे भी हैं जिनका कुछ सिस्टम ही नहीं है। जी हाँ आईये आज हम आपको बताते हैं आंगनवाड़ी केंद्र की कुछ ऐसी स्तिथियाँ जो आपने कभी न कभी देखी या सुनी जरूर होगी। दोस्तों मेरे हिसाब से कभी भी हर बात के लिए सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए। क्योंकि हर बार सरकार की गलती नहीं होती है। सरकार तो हमारे लिए बहुत कुछ करती है। कई योजनाएं खोलती है जिसका उद्देश्य केवल और केवल हमारा और देश का विकास ही होता है। लेकिन कुछ ऐसे लोग होते हैं जो सही मायने में आम इंसान तक वो जानकारी या वो सुविधा पहुंचाते ही नहीं हैं। ऐसी ही एक बाल विकास योजना है जिसका उद्देश्य 0 से 6 वर्ष के बच्चों को कुपोषण से बचाना, उनका शारीरिक,मानसिक और सामाजिक विकास आदि है। जो कि हम सब जानते हैं। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा हो भी रहा है? आईये जानते हैं – आंगनवाड़ी केंद्र में बच्चों की संख्या आप सभी लोग भली भांति परिचित हैं कि आंगनवाड़ी के अंतर्गत 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं आदि की देखरेख करना आता है। ऐसे में 3 से 6 वर्ष के बच्चों का अच्छे से दाखिला होता है। जिसमे बच्चों को कई चीजें सिखाई जाती है। सरकार का उद्देश्य सभी बच्चे और महिलाओं को कुपोषण से बचाना। बच्चों का शारीरिक मानसिक विकास बच्चों के माइंड को एक्टिव बनाने के लिए सरकार कई खिलोने देती है। विद्यालय जाने से पूर्व बच्चा सभी बेसिक चीजें जैसे उठना बैठना साफ़ सफाई से रहना सीख पाए। आदि ऐसी चीजें जिससे बच्चों और महिलाओं का विकास हो। वास्तविकता कई ऐसे आंगनवाड़ी केंद्र हैं जहाँ दाखिल बच्चों की जनसँख्या तो काफी है लेकिन बच्चे गिने चुने आते हैं या आते ही नहीं। जी हाँ अधिकतर अभिभावकअपने बच्चों को 3 वर्ष के बाद किसी प्राइवेट स्कूल में दाखिल करवा देते हैं। आंगनवाड़ी कार्यकत्री उन बच्चों के नाम पे वो स्कूल चला रहीं हैं, जो वास्तव में वहां कभी आते ही नहीं हैं। और यदि कोई गिना चुना आ भी जाए तो उनको वो शिक्षा वो सुविधा से वंचित रखा जाता है। भोजन अथवा राशन सरकार का उद्देश्य हर बच्चे को एक जैसी गुणवत्ता वाला खाना मिले। हर आम इंसान तक बेसिक पोषण की राशन मिले। कई गरीब परिवार बच्चों को पर्याप्त भोजन नहीं दे पाते उनको मदद मिले। सामाजिक असमानता कुछ हद तक कम हो। सरकार का लक्ष्य है “सुपोषित भारत” बनाना। वास्तविकता कई केंद्रों में राशन तो आती है लेकिन पूरी नहीं पहुँचती जिससे कार्यकत्रियों को वो सब में बाँटना थोड़ा दिक्कत करता है और सभी को उतनी राशन नहीं मिलती जितनी सरकार देती है। इसके साथ साथ कहीं भरपूर पोषण वाली राशन भी नहीं मिलती। अब चूंकि आम आदमी में जागरूकता की कमी के कारण उसे नहीं पता कि सरकार कितना देती है और क्यों देती है, वह कुछ बोल ही नहीं पाते। 2021–22 के सरकारी आंकड़ों और कई सर्वे में पाया गया कि आंगनवाड़ी योजनाओं से हर पात्र बच्चा या महिला लाभान्वित नहीं हो पा रही। और रही बात जो बन बनाया भोजन आता है उसकी तो उसके तो राशन से भी ज्यादा बुरे हालात हैं। जी हाँ बन बनाया भोजन कई जगह तो इतना बेकार आता है की कोई भी बच्चा उसको देखता तक नहीं जिससे वह भोजन या तो गाय भैंसो को खिला दिया जाता है और या तो फेंक दिया जाता है। आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों को ड्रेस सरकार का उद्देश्य बच्चों में समानता का भाव पैदा करना।अमीर-गरीब का भेद मिटाकर सभी को एक जैसा दिखाना।गरीब परिवारों का आर्थिक बोझ कम करना।बच्चों को अनुशासन और पहचान से जोड़ना।आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाना। वास्तविकता हालांकि सरकार का उद्देश्य बेहद सराहनीय है, लेकिन ज़मीनी हकीकत में बच्चों तक इस योजना का पूरा लाभ नहीं पहुँच पा रहा। कई आंगनबाड़ी केंद्रों में ड्रेस का वितरण या तो अनियमित है या बिल्कुल नहीं होता। जहाँ ड्रेस दी भी जाती है, वहाँ उसकी गुणवत्ता इतनी कमजोर होती है कि कपड़े जल्दी फट जाते हैं और बच्चे उन्हें लंबे समय तक इस्तेमाल नहीं कर पाते। कुछ क्षेत्रों में तो हालात और भी खराब हैं, जहाँ बच्चों को ड्रेस सिर्फ कागज़ों पर उपलब्ध दिखा दी जाती है, जबकि वास्तविकता में परिवारों को कुछ नहीं मिलता। कई बार ड्रेस वितरण वर्षों तक टल जाता है, जिससे बच्चों को नियमित लाभ नहीं मिल पाता। इस तरह सरकार का उद्देश्य तो बच्चों में समानता और अनुशासन लाना है, लेकिन हकीकत यह है कि पारदर्शिता, निगरानी और समय पर सप्लाई की कमी के कारण योजना का असर सीमित रह गया है। खिलौने और गतिविधियों सरकार का उद्देश्य बच्चों को खेल-खेल में सीखने का अवसर देना।प्रारंभिक शिक्षा को रोचक और आनंददायक बनाना।बच्चों की मानसिक, सामाजिक और शारीरिक क्षमता का विकास करना।आंगनबाड़ी केंद्रों को सिर्फ पोषण केंद्र न बनाकर “बच्चों के समग्र विकास केंद्र” के रूप में स्थापित करना।बच्चों को घर से बाहर एक सुरक्षित और सीखने वाला वातावरण उपलब्ध कराना। वास्तविकता जमीनी स्तर पर खिलौने और गतिविधि सामग्री की व्यवस्था कई जगहों पर अधूरी और कमजोर दिखाई देती है। अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्रों में पर्याप्त खिलौने मौजूद ही नहीं होते, और जहाँ होते भी हैं, वे या तो टूटे-फूटे रहते हैं या इतने पुराने हो जाते हैं कि बच्चों को उनसे कोई लाभ नहीं मिलता। कई केंद्रों में केवल नाम के लिए खिलौने रख दिए जाते हैं, जबकि उनका उपयोग बच्चों की पढ़ाई या खेल में नियमित रूप से नहीं होता। कुछ जगहों पर गतिविधि सामग्री समय-समय पर आती ही नहीं, जिससे बच्चे केवल बैठकर समय गुज़ारते हैं। इस कारण सरकार का जो उद्देश्य था कि बच्चों का समग्र विकास हो और वे खेल-खेल में सीखें, वह पूरी तरह से पूरा नहीं हो पा रहा। Note: हालाँकि हर जगह हालात ऐसे नहीं हैं, कई जगह सभी चीजें सुव्यवस्थित ढंग से चलती है। जहाँ बचूं की संख्या भी ठीक ठाक है और भोजन व्यवस्था भी अच्छी है। ड्रेस भी व्यवस्थित रूप से चलती है। मोदी सरकार का बड़ा फैसला: अब सिर्फ 5% और 18% GST, सस्ते हुए खाने से लेकर गैजेट्स तक Health & Care News Article