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Uttarkashi : उत्तरकाशी स्थापना दिवस के उपलक्ष में विकासखंड डुंडा के माँ रेणुका मंदिर परिसर में होता है भव्य मेले का आयोजन, कई देव डोलियों का होता है स्वागत

उत्तरकाशी स्थापना दिवस: नमस्कार, दोस्तों यूँ तो पूरे उत्तराखंड में आये दिन देवी देवताओं के मेले का आयोजन होता रहता है। और हो भी क्यों न आखिर उत्तराखंड देवभूमि के नाम से भी तो जाना जाता है। आज हम आपको ऐसे ही एक सुन्दर मेले के बारे में जानकारी देंगे, जो कि उत्तरकाशी में मनाया जाता है। जी हाँ उत्तरकाशी स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर विकासखंड डुंडा के माँ रेणुका मंदिर परिसर में एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। आईये इसके बारे में अधिक जानकारी साझा करते हैं।

माँ रेणुका मंदिर में 5 दिवसीय मेले का आयोजन

24 फ़रवरी वर्ष 1960 में उत्तरकाशी जिले की स्थापना हुई थी। इसी उपलक्ष में विकासखंड डुंडा के माँ रेणुका मंदिर के परिसर में 5 दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। यह प्रत्येक वर्ष 24 फरवरी से शुरू हो जाता है और 28 फरवरी को समाप्त हो जाता है। मेले की शुरुआत वर्ष 2016 से हुई थी और तब से लेकर आज तक यह मेला लगातार प्रत्येक साल मनाया जाता है। बात अगर मेले की करें तो यह काफी भव्य तरीके से मनाया जाता है। जिसमे बड़ी बड़ी चरखी, ड्रैगन और कई खेल आते हैं। फ़ास्ट फ़ूड की दुकानों के साथ साथ खिलोनो, बर्तनों और कपड़ों की दुकाने भी लगती है। देखा जाय तो उत्तरकाशी में लगने वाले माघ मेले से कुछ कम नहीं है।

कई देव डोलियों का होता है आगमन

डुंडा रेणुका माता मंदिर में मेले के दौरान जगह जगह के गाँव से देव डोलियों का भी आगमन होता है। देव डोलियों के साथ उनके पुजारी और गाँव के कुछ लोग भी आते हैं। जो डोलियों को नचाते हैं और उनके साथ साथ खूब झूमते हैं। मेले में खट्टू खाल के नागराज देवता, डुंडा जाड की रिंगाली देवी, रनाडी के कचड़ू देवता और माँ रेणुका की डोली के साथ साथ और भी देव डोलियां आती है। 24 फरवरी की सुबह को माँ रेणुका की डोली अपने स्थान से गंगा स्नान के लिए जाती है, फिर मंदिर में आकर अन्य देव डोलियों का स्वागत किया जाता। शाम 4 बजे से देवडोलियों न नृत्य शुरू हो जाता है। जिसमे ढोल नगाड़े आदि बजाए जाते हैं। वही लोग डोलियों के साथ खूब नाचते हैं।

मेले में आते हैं कई कलाकार

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जैसा कि हम आपको बता चुके हैं की यह मेला उत्तरकाशी के माघ मेले से कुछ कम नहीं है। तो जिस प्रकार माघ मेले में उत्तराखंड के कई बड़े बड़े कलाकार उपस्थित होते हैं। ठीक उसी प्रकार डुंडा के इस 5 दिवसीय मेले में कई कलाकार आकर अपना प्रदर्शन करते। जहाँ संगीत और नृत्य की ताल पर सभी लोग झूम उठते हैं। इन कलाकारों के कार्यकर्मों को देखने के लिए दूर दूर के गाँव के लोग भी आते हैं। सभी कलाकार अपने कार्यकर्मों का अच्छा इनाम भी प्राप्त करते हैं। कार्यकर्मो को निपटा कर ये कलाकार माँ रेणुका और अन्य सभी देवताओं के दर्शन करके चले जाते हैं।

आस-पास के लोग लेते हैं मेले का आनंद

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डुंडा के इस विकास मेले में स्थानीय लोग तो आते ही हैं बल्कि आस पास के इलाके के लोग भी इस मेले का खूब आनंद लेते हैं। कार्यकर्मो को देखकर और मेला घूम कर सभी लोग देव डोलियों का नाच देखते हैं। साथ ही लोग खुद भी रासो तांदी लगाते हैं।

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