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बेंगलुरु कपल का ₹5.9 लाख महीना खर्च और गुरुग्राम की Russian लड़की का वायरल बजट: शहरी जीवन की असलियत

बेंगलुरु कपल का ₹5.9 लाख महीना खर्च

बेंगलुरु कपल का ₹5.9 लाख महीना खर्च

आजकल सोशल मीडिया पर एक दिलचस्प लेकिन चौंकाने वाली खबर वायरल हो रही है। बेंगलुरु के एक कपल का महीने भर का खर्च ₹5.9 लाख बताया गया है। जैसे ही यह खर्च-सूची सामने आई, इंटरनेट पर लोगों की प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। किसी ने इसे “बेमानी दिखावा” कहा, तो किसी ने माना कि यह भारत के बड़े शहरों की महंगाई का सच्चा आईना है।

बेंगलुरु कपल का खर्च क्यों बना चर्चा का विषय?

भारत की आईटी राजधानी बेंगलुरु हमेशा से ही महंगे जीवनशैली के लिए जानी जाती है—हाई रेंट, लग्ज़री लाइफस्टाइल और बाहर खाने-पीने का ट्रेंड यहाँ आम है। रिपोर्ट्स के अनुसार इस कपल के मासिक बजट में शामिल थे:

लोगों को सबसे ज़्यादा हैरानी इस बात से हुई कि एक औसत भारतीय परिवार जहाँ महीने का खर्च ₹40,000 – ₹70,000 में मैनेज करता है, वहीं इस कपल का खर्च लाखों में जा रहा है।

क्या वाकई इतना महंगा हो चुका है शहरी जीवन?

महंगाई और शहरी जीवन की लागत कोई नया मुद्दा नहीं है। NCR और मुंबई जैसे शहरों में भी खर्च का स्तर काफी ऊँचा है। हाल ही में गुरुग्राम में रहने वाली एक Russian कंटेंट क्रिएटर ने खुलासा किया कि वह ₹1.2 लाख केवल किराए में और लगभग ₹20,000 एयर पॉल्यूशन से जुड़ी दवाइयों पर खर्च करती हैं। इससे साफ है कि शहरी जीवन न केवल महंगा बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज़ से भी चुनौतीपूर्ण बनता जा रहा है।

क्यों बढ़ रहे हैं खर्च?

  1. रेंट का बोझ: बड़े शहरों में 2BHK घर का किराया भी कई बार ₹40,000 से ₹80,000 तक पहुँच जाता है।
  2. लाइफस्टाइल चॉइसेज़: कैफ़े कल्चर, बाहर खाने और घूमने-फिरने का शौक खर्च बढ़ा देता है।
  3. हेल्थकेयर और पॉल्यूशन: मेडिकल बिल और फिटनेस पर खर्चा लगातार बढ़ रहा है।
  4. सोशल मीडिया इन्फ्लुएंस: दिखावे और “ट्रेंड में रहने” के लिए भी लोग ज़्यादा खर्च करने लगे हैं।

आम लोगों के लिए सीख क्या है?

बेंगलुरु कपल का ₹5.9 लाख का मासिक खर्च निश्चित रूप से हर किसी के लिए सामान्य नहीं है, लेकिन इसने एक अहम बहस को जन्म दिया है—क्या हमारे शहर वाकई इतने महंगे हो चुके हैं कि मध्यमवर्गीय परिवारों का जीवन कठिन होता जा रहा है?
इस सवाल का जवाब हर किसी की कमाई, जीवनशैली और प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है। लेकिन इतना तय है कि हमें केवल दिखावे में नहीं, बल्कि समझदारी से खर्च करना सीखना होगा।

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